प्राचार्य
प्राचार्य की कलम से –
आज विद्यालय की भूमिका न केवल अकादमिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाना है, बल्कि अपने छात्रों को आजीवन विद्यार्थी, सृजनात्मक विचारक और निरंतर बदलते वैश्विक समाज का उत्पादक सदस्य बनने के लिए प्रेरित करना और सशक्त बनाना भी है।
हमेशा से मुझे यह विचार प्रभावित करता रहा है कि – घर प्रथम विद्यालय है और विद्यालय दूसरा घर है।
प्रत्येक छात्र की प्रतिभा, कौशल और क्षमताओं को पहचानने, पोषित करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि वह अधिक ऊंचाइयों तक पहुंच सके। छात्रों को विचार करने, अभिव्यक्त करने और अपने कौशलों का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच प्रदान करने की आवश्यकता है। छात्रों को प्रत्येक पर स्वयं के विचार व्यक्त करने और विचार साझा करने के लिए सशक्त बनाना आवश्यक है, जिसमें शिक्षक एक सुविधाकर्ता हो। विद्यालय बच्चों में अकादमिक और पाठ्येतर गतिविधियों के साथ मजबूत मूल्यों को विकसित करने के लिए सर्वोत्तम संभव प्रयास करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। प्रत्येक बच्चे को एक आत्मनिर्भर और स्वतंत्र नागरिक में परिवर्तित करते हुए विद्यालय शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक गतिविधियों का एक सुदृढ़ आधार प्रदान करता है। अत्याधुनिक विषय, उच्च तकनीक वाली कक्षाएँ, अति-सक्षम शिक्षक, ई-लर्निंग संसाधन और कंप्यूटर-सहायता प्राप्त शिक्षा को अपने शिक्षण-अधिगम का साधन बनाएँ।
हार्दिक शुभकामनाएं सहित… .
प्राचार्या
अलका गायकवाड़